New delhi

अलविदा असरदार सरदार

देश के रिफॉर्म मैन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का निधन

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री और दिग्गज अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने अलविदा कह दिया। डॉ मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात निधन हो गया। उन्हें बेहोश होने के बाद शाम 8:06 बजे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। रात 9:51 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।अपने आर्थिक सुधारों की वजह से भारत के सुधार पुरुष कहे जाने वाले मनमोहन सिंह भले ही न रहे, लेकिन भारत को उदारीकरण की राह दिखाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री को हमेशा याद रखेगा। उनके कार्यकाल में भारत ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। जब नयी सदी का इतिहास लिखा जाएगा तब डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल को भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे सुखद वर्षों में गिना जाएगा।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा)2005 में शुरू किए गए इस अधिनियम ने प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के वेतन रोजगार की गारंटी दी, जिससे लाखों लोगों की आजीविका में उल्लेखनीय सुधार हुआ और ग्रामीण बुनियादी ढांचे में वृद्धि हुई.

सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI)2005 में पारित आरटीआई ने नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों से जानकारी मांगने का अधिकार दिया, जिससे शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिला.

आधार की सुविधाआधार परियोजना निवासियों को विशिष्ट पहचान प्रदान करने, विभिन्न सेवाओं तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए शुरू की गई थी.

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer)सिस्टम को लागू किया, जिसने कल्याण वितरण को सुव्यवस्थित किया और कई खामियों को दूर किया.

कृषि ऋण माफी (2008):कृषि संकट को दूर करने के लिए 60,000 करोड़ रुपए के ऋण माफी के माध्यम से किसानों को राहत प्रदान की.

भारत-अमेरिका परमाणु सौदामनमोहन सिंह की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर बातचीत थी. इस समझौते के तहत, भारत को परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) से छूट मिली. इसके तहत भारत को अपने नागरिक और सैन्य परमाणु कार्यक्रमों को अलग करने की अनुमति मिली. इस डील के तहत भारत को उन देशों से यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली, जिनके पास यह तकनीक है.

राजनीतिक सफरनामा

अपने मृदुभाषी और विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाने वाले मनमोहन सिंह अक्तूबर 1991 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने थे। इसके बाद वे लगातार छह बार उच्च सदन के सदस्य बने। वे कभी लोकसभा से नहीं आ सके। हालांकि 1999 में मनमोहन सिंह ने दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमें वे भाजपा के विजय कुमार मल्होत्रा से हार गए थे। ये उनके जीवन का पहला और आखिरी लोकसभा चुनाव था। एक अक्तूबर, 1991 से 14 जून, 2019 तक वे लगातार पांच बार असम से राज्यसभा सदस्य रहे। 2019 में दो महीने के अंतराल के बाद वे राजस्थान से फिर राज्यसभा आए। वे 1991 से 1996 तक नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे। बाद में 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे थे। इतना ही नहीं, 21 मार्च, 1998 से 21 मई, 2004 तक वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। इसके बाद जब वे 2004 और 2014 के बीच प्रधानमंत्री थे, तब भी वह सदन के नेता थे।

इतने पद पर रह चुके हैं मनमोहन सिंह26 सितंबर, 1932 को गाह गांव (पाकिस्तान का पंजाब प्रांत) में जन्मे सिंह ने क्रमशः 1952 और 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपना इकोनॉमिक ट्रिपोस पूरा किया। फिर 1962 में वो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल किया। डॉक्टर सिंह विदेश व्यापार मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार और वित्त मंत्रालय के सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1976 से 1980 तक भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक और फिर 1982 से 1985 तक गवर्नर के रूप में कार्य किया। वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मना रहा है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री समेत पदों पर काम किया। सालों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी। संसद के अंदर उनका योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।1

नरेंद्र मोदी, पीएम

  1. ↩︎

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