Mumbai Maharashtra

हिंदी को जबरन थोपकर मराठी भाषा, अस्मिता और संस्कृति को मिटाने की साजिश, हिंदी थोपने का निर्णय तुरंत रद्द किया जाए: हर्षवर्धन सपकाल

क्या मराठी बोलने वाले हिंदू नहीं हैं? भाजपा का एजेंडा – हिंदू, हिंदी और हिंदू राष्ट्र थोपने का षड्यंत्र, कांग्रेस को हिंदी थोपे जाने का विरोध

छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज्य की भाषा को मिटाने की भाजपा की साजिश

अंबाजोगाई में महिला वकील पर हुई अमानवीय मारपीट के मामले में तुरंत FIR दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए

मुंबई, दिनांक 18 अप्रैल 2025
मराठी भाषा महाराष्ट्र की अस्मिता और संस्कृति है, और उसी पर हमला करने का प्रयास भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है। “विविधता में एकता” भारत की पहचान है और भाजपा उस पहचान को मिटाने का षड्यंत्र रच रही है। पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य करने का सरकार का निर्णय पूरी तरह गलत है और यह निर्णय सरकार को तुरंत वापस लेना चाहिए, ऐसी मांग महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाळ ने की है।

तिलक भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि एक ओर सरकारने मराठी को “अभिजात भाषा” का दर्जा दिया है और दूसरी ओर उसे व्यवहार से दूर करना चाहती है, यह दोगली नीति है। भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि संस्कृति का भी आधार है। एक साथ तीन भाषाओं को अनिवार्य करने के बाद छात्र बाकी विषयों का अध्ययन कैसे करें? इस जबरदस्ती के कारण बच्चे मूलभूत ज्ञान से वंचित रह जाएंगे। क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान होना चाहिए और अन्य भाषाओं का भी आदर है, लेकिन भाजपा की मंशा क्षेत्रीय भाषाएं और संस्कृति समाप्त करने की है। इस निर्णय से अन्य भाषा पढ़ाने वाले शिक्षकों की नौकरियों पर भी संकट आ सकता है।
यह “हिंदू, हिंदी और हिंदू राष्ट्र” थोपने का भाजपा का एजेंडा है और कांग्रेस पार्टी इस जबरदस्ती का दृढ़ विरोध करती है, ऐसा सपकाळ ने कहा।

दक्षिण भारत में हिंदी भाषा का जबरदस्त विरोध होता है, तो फिर महाराष्ट्र में जबरदस्ती क्यों? क्या यह भाषा थोपने की प्रक्रिया देश को टुकड़े-टुकड़े करने का प्रयास है? क्या मराठी बोलने वाले हिंदू नहीं हैं? ऐसे सवाल करते हुए हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि भाजपा उसी भाषा को मिटाने निकली है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज्य कि भाषा है।

बीड जिले में सरपंच संतोष देशमुख की अमानवीय हत्या की घटना पूरे देश ने देखी है। बीड में “आका गैंग”, “खोके गैंग” जैसी आपराधिक गैंग सक्रिय हैं और अत्याचारों का सिलसिला थमता नहीं है। अंबाजोगाई में सत्र न्यायालय में वकालत करने वाली एक युवा महिला वकील को गांव में ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कार्यालयीन शिकायत करने के कारण, गांव के सरपंच और उनके कार्यकर्ताओं ने खेत में ले जाकर घेर लिया और बुरी तरह पीटा। लाठी और लोहे की पाइप से हमले में वह महिला बेहोश हो गई। उसे केवल एक रात में ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यह घटना अत्यंत क्रूर और निंदनीय है।
“अगर एक महिला वकील को सुरक्षा नहीं मिलती, तो आम महिलाओं का क्या होगा?” ऐसा सवाल पूछते हुए सपकाल ने कहा कि अगर सरकार में थोड़ी भी शर्म बची हो तो तुरंत एफआईआर दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए और उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए।

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