Nashik

भारत का आध्यात्म सनातन धर्म है -सत्यप्रकाश ब्रह्मचारी

नासिक। सिद्ध पिंपरी स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद युवा सप्ताह सम्मेलन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अथिति के रूप में कैलाश मठ नासिक के संत श्रीसत्यप्रकाश ब्रम्हचारी ने कहा कि भारत आध्यात्म के क्षेत्र में विश्व गुरु रहा है। विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारत का आध्यात्म सनातन धर्म है जो सत्य पर आधारित है। इसलिए सभी धर्मो का आधार भारत है।

स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु की प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए श्री रामकृष्ण मिशन मठ की स्थापना किया जिससे अपनेगुरु के संदेश को प्रसारित किया जा सके। उनका उद्देश्य था कि सनातन धर्म का वास्तविक ज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा और सोते हुए भारतीयों में राष्ट्रवाद को जागृत करना था। युवा सप्ताह सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए परिसर के निदेशक प्रोफेसर श्रीगोविंद पांडेय ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने जिस तरह अपने गुरु के बताए मार्ग पर चलकर विश्व में भारत का नाम रोशन किया उसी तरह हर छात्र को गुरु के प्रति श्रद्धा भक्ति रखकर ज्ञान अर्जित करना चाहिए।

स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि गर्व से कहो हम हिंदू हैं इसका मतलब अपने धर्म के प्रति निष्ठा अटूट होनी चाहिए। सनातन धर्म हिंदू की सभ्यता और संस्कृति से दुनिया को परिचय कराया था। इस अवसर पर स्वागत भाषण एवम परिचय के रुप में डॉ रंजय कुमार सिंह ने कहा कि अमेरिका के शिकागो में प्रथम बार विश्व धर्म संसद हुआ था जिसमे दुनिया के सभी धर्मो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।

जिसमें गुलाम भारत का प्रतिनिधि बनकर स्वामी विवेकानन्द ने अपने भाषण की शुरुवात करते समय भाईयों और बहनों से जब संबोधन किया तो अमेरिका ही नहीं बल्कि यूरोप सहित विश्व के सभी धर्मो के प्रतिनिधियों एवं लोगों में भारत के सनातन धर्म के प्रति आदर, सम्मान और प्रेम की मज़बूत छबि बना। स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में 11से 27सितम्बर 1893के बीच छह भाषण दिए थे।

जिसमें भारत के सत्य रूपी सनातन धर्म से दुनिया को परिचित कराया था। भारत का सनातन धर्म सत्य मेव जयते पर आधारित है। उन्होंने युवा पीढ़ी को बताया कि उठो जागो और श्रेष्ठ महापुरुसो के पास जाकर ज्ञान प्राप्त करो। उठो जागो और तब तक नही रूको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाय। इस अवसर पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमे प्रथम स्थान शिक्षा शास्त्री छात्र प्रथममेश थिते, द्वितीय स्थान विशाल सोलंके तथा तृतीय पुरस्कार साहित्य आचार्य द्वितीय के केयूर कुलकर्णी ने प्राप्त किया। इस अवसर पर धन्यवाद भाषण डॉ गणपति हेगड़े ने जबकि मंच संचालन श्री लक्ष्मेंद्र ने किया। समारोह में सभी शिक्षक कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे

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