बेटी का सम्मान बढ़ता है तो मां का भी सम्मान बढ़ जाता है



नासिक। सिद्ध पिंपरी स्थित केंदीय संस्कृत विश्वविद्यालय नासिक परिसर में विश्व हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और नासिक परिसर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अथिति के रूप में नासिक परिक्षेत्र के प्रबंधक जगमोहन दूबे ने कहा कि सन् 1947से लेकर वर्तमान समय तक लार्ड मैकाले की अंग्रेज़ी नीति ने भारतीयों के रक्त में अंग्रेज़ी भाषा समाहित हो गया है।
समय रहते यादि हिंदी और देश की मातृ भाषाओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो भारत एक दिन मैकाले की भाषा बनकर रह जाएगा। हमारी सभ्यता एवं संस्कृति पर भी विशेष प्रभाव पड़ेगा। संस्कृत भाषा सबसे प्राचीन भाषा है तथा दुनिया में सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसको अमेरिका की नासा ने भी संगणक विज्ञान के प्रयोग के लिए उत्तम भाषा माना है। हिंदी संस्कृत की बेटी है,यदि बेटी का सम्मान बढ़ता है तो मां का भी सम्मान बढ़ जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिसर के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर रामचंद्र जोइसा ने कहा कि मैं दक्षिण क्षेत्र से आता हु इसलिए मुझे हिन्दी को समझने में थोड़ा समय लगा, किंतु मुझे अनुभव हुआ कि हिंदी भाषा का ज्ञान होने से देश के प्रत्येक क्षेत्र में जानें पर दिक्कत नही होता है क्योंकि हिंदी भाषा के माध्यम से हम अपनी बात को रखकर समझ लेते हैं। हिन्दी भाषा के द्वारा वहा की संस्कृति को जाना और समझा जा सकता है।

देश में हिन्दी जन सम्पर्क का सबसे उत्तम भाषा है। इस अवसर पर स्वागत भाषण डॉ वीरेन्द्र सिंह चौधरी, धन्यवाद डॉ पी विद्याधर प्रभल, निर्णायक डॉ इन्द्र कुमार मीणा, डॉ रंजय कुमार सिंह , श्री लक्ष्मेंद्र तथा मंच संचालन डॉ शंकर आंधले ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर हिंदी गीतगायन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे 14 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
जिसमें प्रथम स्थान अमन थपलियाल, द्वितीय स्थान प्रथमेश थित्ते ने जबकि तृतीय स्थान प्रशांत कुमार झा औरसांत्वना पुरस्कार पिंकी जेना एवम प्रतिक दवे ने प्राप्त किया। इस अवसर पर सभी शिक्षक कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे ।