Shardhanjali

कवि मनोज शर्मा की स्मृति में भावपूर्ण श्रद्धांजलि सभा संपन्न

मुंबई, 11 मई 2025 : मीरा रोड के विरुन्गुला केंद्र में ‘जनवादी लेखक संघ’ (महाराष्ट्र) ने कवि और अनुवादक मनोज शर्मा की स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। मनोज शर्मा असामयिक निधन से साहित्य जगत स्तब्ध और शोकाकुल है।

‘नाबार्ड’ में अपने कार्यकाल के दौरान मनोज शर्मा मुंबई में साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। उनकी जिंदादिली और रचनात्मकता ने साहित्यप्रेमियों के दिलों में विशेष स्थान बनाया। सभा में उनकी हिंदी-पंजाबी रचनाओं का पाठ संजय भिसे, जुल्मी राम सिंह यादव, आर.एस.विकल,अलका अग्रवाल और अभिजीत शर्मा ने किया।

सुप्रसिद्ध लेखक असगर वजाहत ने फारसी के एक कवि के मज़ारर पर बजने वाले गीत के दृष्टांत को याद करते हुए कहा,रचनाकार कभी मरता नहीं, वह अपनी कृतियों में अमर रहता है। वह फूलों, खुशबुओं, सूरज की किरणों, चांदनी रातों और ऋतुओं की गमक में अपनी मिट्टी में हमेशा मौजूद रहता है।उसकी रचनाएँ पीढियों तक सब को प्रेरित करती रहती हैं।

सभा के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार विनोद दास ने कहा, “मनोज शर्मा का लेखन क्रांतिकारी परंपरा और पंजाब की मिट्टी की सुगंध और संवेदना से ओतप्रोत था। उनका व्यक्तित्व प्रेम से लबरेज़ था ।उनकी खुशमिज़ाजी और गर्म जोशी सब को प्रेरित करती थी।” शैलेश सिंह ने उनके निधन को इस अंधेरे समय में प्रगतिशील विचारधारा की अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने मनोज शर्मा को पंजाब की संघर्षशील परंपरा का सच्चा वारिस बताया।

वरिष्ठ कवि एवं संपादक हृदयेश मयंक ने कहा कि“संगठन और आत्मविश्वास में ही शक्ति है। हमें इस परंपरा पर गर्व है कि जनवादी लेखक संघ ने साहित्यकारों और संस्कृतिकर्मियों को सदैव सम्मान दिया है। भविष्य में भी हम यह स्वस्थ परंपरा जारी रखेंगे। जनवादी लेखक संघ साहित्यकारों की विरासत को आगे बढ़ाने की अपनी परंपरा को कायम रखेगा।”

कवि पत्रकार हरिमृदुल ने मनोज शर्मा के मानवीय पक्ष की चर्चा की उन्होने कहा कि वे एक आन्दोलनधर्मी व्यक्ति ही नहीं अपितु बहुत बड़े यारबाज भी थे । उनकी विकास यात्रा में मनोज शर्मा का बहुत बड़ा योगदान है। अनुप सेठी ने कहा कि मनोज शर्मा भले ही पंजाबी भाषी थे किन्तु उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम हिन्दी को चुना। वे बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। साहित्य को लोगों के बीच ‌ले जाने के लिए उन्होंने कई कविता पोस्टर बनाएं। वे मंच पर भी काफी सक्रिय रहे ।भगत सिंह और पाश पर लिखी कविताओं का उन्होंने खूबसूरत अनुवाद किया।


वरिष्ठ कवि एवं आलोचक विजय कुमार की अनुपस्थिति में जुल्मीरामसिंह यादव ने उनका श्रद्धांजलि संदेश और मनोज शर्मा को उनका लिखा एक पुराना पत्र पढ़ा जिसमें उनकी कविताओं पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां थी।

इस अवसर पर ‘जसम’ के साथी आर एस विकल जी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि इस बात का मुझे अफसोस रहेगा कि मनोज शर्मा से मुलाक़ात न हो पायी। सभा में हाल की घटनाओं में पहलगाम के शहीद नागरिकों और सीमा पर शहीद जवानों को भी श्रद्धांजलि दी गई।


सभा का संचालन डॉ. मुख्तार खान ने किया और वरिष्ठ पत्रकार मुशर्रफ शम्सी ने आभार व्यक्त किया। वरिष्ठ साहित्यकार आबिद सुरती, राकेश शर्मा, रमन मिश्र, अजय रोहिल्ला, डॉ. रीता दास, राजीव रोहित, दीपक खेर, सुनील ओवाल, एड. संजय पांडे, दिनेश गुप्ता, डॉ. हुस्ना तबस्सुम नेहा, डॉ. अनिल गौड़, कृश्न गौतम, कॉमरेड मोईन अंसार, कॉ. पुलक चक्रवती, रामू जैसवाल , कॉमरेड राजीवन, कॉमरेड कृष्णन,प्रसाद साळवी, श्रीमती विनीता, सुनीता विकल, चितरंजन, डॉ. सुशीला तिवारी, कल्पना पांडे, शफीक खान, नज़ीर धंधोंढी सहित अनेक कवि, लेखक और गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।


मनोज शर्मा की साहित्यिक विरासत और मानवीय मूल्यों को यह सभा एक मार्मिक श्रद्धांजलि थी, जो उनकी प्रेरणादायी स्मृति को सदा जीवंत रखेगी
भारी संख्या में नगर-उपनगर के कवि लेखक व पत्रकारों की उपस्थिति सराहनीय रही.

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