चिकित्सा, राजनीति, समाजसेवा और शिक्षा का आदर्श समन्वय डॉ राजेन्द्र आर सिंह

चिकित्सा, राजनीति, समाजसेवा और शिक्षा का आदर्श समन्वय
मुंबई – आदर्श, प्रबुद्ध, गुणसमृद्ध, समाजसेवी और बहुआयामी व्यक्तित्व, डॉ. राजेंद्रप्रसाद आर. सिंह जिनके कार्यक्षेत्र का विस्तार चिकित्सा, राजनीति, शिक्षा और समाज कल्याण के विभिन्न पहलुओं तक फैला हुआ है। इनका जन्म 16 अप्रैल मुंबई के उपनगर मुलुंड में हुआ और इन्होंने अपनी शिक्षा बी.ए.एम.एस., मुंबई और पत्रकारिता में डिप्लोमा के साथ पूरी की। डॉ. सिंह हिंदी, मराठी, गुजराती और अंग्रेजी इन चार भाषाओं में धाराप्रवाह वार्तालाप करने में निपुण हैं। इनकी मेहनत, लगन और कर्तव्यपरायणता का ही परिणाम है कि विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मान प्राप्त हुआ है। विद्यार्थी जीवन से ही इनके मन में समाजसेवा का अंकुर प्रस्फुटित हुआ। यही कारण था कि 10 वर्ष की अवस्था से ही शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में रूचि लेने लगे। इन्होंने लगातार अनेक प्रसंशनीय कार्य किये हैं, उसी का प्रतिसाद है कि आज आप देश-विदेश में अपने ज्ञान और प्रतिभा के प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं।
सन् 1969 में इनके पिता पूर्व महापौर आर. आर. सिंह समाजसेवा और राजनीति से जुड़े तो पारिवारिक वातावरण भी उसी रंग में तब्दील हो गया। सामाजिक और राजनैतिक लोगों का आवागमन प्रतिदिन लगा रहा, उनके सानिध्य में आकर डॉ. सिंह का रुझान विभिन्न सामाजिक व राजनैतिक संगठनों की ओर हुआ। वह सर्वप्रथम ‘मुलुंड जेसिस’ (1985-1991) के अध्यक्ष बने और अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन किया। 1989 में ‘उत्तर पूर्व जिला युवा कांग्रेस कमेटी’ (N’EDYCC) के चेयरमैन के पद चुने गए। यही इनके गौरवशाली भविष्य का आगाज़ था।
आगे भी अनेक अवसर स्वाभाविक रूप से मिलते रहे। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सिंह 1987 से 1991 तक ‘मुलुंड युवक परिषद’ तथा ‘उत्तर भारतीय संघ’ (मुलुंड ब्रांच) के सचिव रहे ।

“जो कर्मठ होता है, अवसर स्वयं उसकी राह खोज लेते हैं।”
डॉ. सिंह के समक्ष भी अवसरों की एक लंबी फेहरिस्त थी। 1989 में इनको कांग्रेस पार्टी की रिव्यू कमेटी (Review Committee) में कार्य करने का अवसर मिला। इसके पश्चात, 1990 से 1994 तक इन्होंने ‘मुंबई प्रदेश युवा कांग्रेस समिति’ के सहसचिव के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। तत्पश्चात, ‘मुलुंड जेसिस’ 1996 के अध्यक्ष पद का दायित्व संभाला और 1997 से 2000 तक ‘मुंबई कांग्रेस कमेटी’ के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई। ये ‘महानगरी कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी’ के संस्थापक भी रहे। जिसने वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
डॉ. सिंह ‘संत नरहरी सार्वजनिक शिक्षण संस्था’, ‘शिवम मित्र मंडल’, ‘त्रिवेणी युवक संगम’ (रजिस्टर्ड) और ‘आर्य समाज मुलुंड कॉलोनी’ के सलाहकार के रूप में सतत योगदान देते रहे हैं। ‘उत्तर भारतीय संघ’ और ‘मैका महिला गृह उद्योग’ के सलाहकार के रूप में भी इन्होंने समाजसेवा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
डॉ. सिंह सन 1994 में ‘रेलवे यूजर्स कंसल्टेटिव कमेटी’, ठाणे के सदस्य रहे। सन 1990 से अब तक, महाराष्ट्र सरकार द्वारा पहले ‘स्पेशल एक्जीक्युटिव मजिस्ट्रेट’ (SEM) और वर्तमान में ‘स्पेशल एक्जीक्युटिव ऑफीसर’ (SEO) के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
डॉ. सिंह ‘अखिल भारतीय राष्ट्रीय एकता निर्मूलन समिति’ के कार्यकारी समिति सदस्य रहे हैं। ‘उत्तर भारतीय संघ, मुंबई’, ‘महाराष्ट्र कुर्मी क्षत्रिय संघ’ और सन 1985 से 1997 तक ‘श्री नागरिक सभा’ (मुलुंड) के सदस्य के रूप में भी इन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई है।
डॉ. सिंह ‘सामाजिक एकता समिति’, ‘भारतीय शिक्षण समिति’ और ‘साहस टी वार्ड’ से भी जुड़े रहे हैं। साथ ही, वर्ष 1990 में BMC उम्मीदवारों के चयन हेतु ‘स्क्रीनिंग कमेटी’ के सदस्य तथा 1991 के संसदीय आम चुनावों के लिए ‘इलेक्शन कैंपेनिंग कमेटी’ के सदस्य के रूप में इन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
सन 1995 से 2001 तक, इन्होंने ‘स्टेशन कंसल्टेटिव कमेटी’ (ZRUCC) रेलवे के सदस्य के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, सन 1999 से 2000 तक ‘बालराजेश्वर महादेव मंदिर’, ‘धर्मशाला एवं सदाव्रत ट्रस्ट’ के सदस्य के रूप में समाज और राष्ट्र की प्रगति में अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
डॉ. सिंह ने विभिन्न संस्थाओं में अपना अमूल्य योगदान देकर उन्हें सम्मानित किया है। इन्होंने 1992 से 1997 तक मुंबई कांग्रेस, मुलुंड ब्लॉक क्रमांक 85 के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इसके बाद, 1998 से 2010 तक ‘उत्तर-पूर्व कांग्रेस कमेटी – स्लम प्रिवेंशन सेल’ के अध्यक्ष तथा ‘स्पेशल एक्जीक्यूटिव ऑफिसर क्लब’, मुंबई के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की। इन्होंने 1990 से 1993 तक ‘मुलुंड तालुका युवा कांग्रेस’ और ‘ओम दत्ता दिगंबर समर्थ सेना मंडल’ के अध्यक्ष पद का दायित्व निभाया।
सन 1988 से 1990 तक ‘मुलुंड तालुका युवा कांग्रेस’ में सक्रिय भूमिका निभाई। इसके बाद, सन् 2006 से 2014 तक ‘उत्तर-पूर्व कांग्रेस कमेटी’, ‘उत्तर-पूर्व जिला युवा कांग्रेस कमेटी’, ‘उत्तर भारतीय संघ मुलुंड’ तथा ‘ब्रांच बी. ए. एम. एस. ग्रेजुएट एसोसिएशन’ सहित विभिन्न संस्थाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ‘उपभोक्ता मार्गदर्शन एवं संरक्षण समिति’ के सदस्य के रूप में भी कार्यरत रहे।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह ने ‘कल्चरल कमेटी ऑफ श्री नागरिक सभा, मुलुंड’ के अध्यक्ष पद पर रहते हुए विभिन्न सामाजिक कार्य किए। किया,
इनकी उपलब्धियाँ यह दर्शाती हैं कि सच्ची लगन, संकल्प और परिश्रम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। इनका जीवन समाज सेवा और नेतृत्व की एक अद्वितीय मिसाल है, जो आने वाली पीढ़ियों को निरंतर प्रेरित करता रहेगा।
वर्तमान समय में डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। ‘आर. आर. एज्युकेशनल ट्रस्ट’, ‘मुलुंड सिटिझन चेरिटेबल ट्रस्ट’, ‘राजीव विचार प्रसार मंच’ के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं और ‘स्लम सेल (मुंबई कांग्रेस)’ के इंचार्ज के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसके साथ ही साथ इन्होंने ‘त्रिवेदी फाउण्डेशन (USA)’ के ट्रस्टी, ‘रयत महासंघ उत्तर पूर्व मुंबई’, तथा ‘डिजायर फाउण्डेशन’, ‘मुलुंड पान-बीड़ी विक्रेता संघ’ मुंबई एवं ‘जय भवानी धाम’ सभी संस्थाओं में अपना योगदान दिया है। ‘कामगार संघर्ष सेना’ (रजिस्टर्ड) के कोषाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। ‘साई संस्थान शिर्डी’ के आजीवन सदस्य बनकर सद्भावना विकास का कार्य कर रहे हैं।
आपने ‘शताब्दी’ कांग्रेस तिमाही पत्रिका के संपादक भी रहे। सभी संस्थाओं को अपने कुशल नेतृत्व और सूझबूझ से प्रगति मार्ग पर ले जाने में योगदान दे रहे हैं।
डॉ. सिंह उस्मानाबाद भूकंप राहत, बिहार बाढ़ राहत, और मोरबी बाढ़ राहत में महत्वपूर्ण आर्थिक योगदान दिया। आतंकी हमले में मारे गए एक ऑटो रिक्शा चालक के परिवार के जीवन में आई कठिन परिस्थितियों में उनकी आर्थिक सहयोग किया। महिला सशक्तिकरण में भी उनका योगदान रहा। महिलाओं को सिलाई मशीनों का वितरण भी किया।
समाज को जोड़ने और सांस्कृतिक धरोहर को जोड़ने के लिए अनूप जलोटा नाइट, पंकज उधास नाइट, कुमार शानू नाइट, मोहम्मद अज़ीज़ नाइट, बिरहा मुकाबला, कव्वाली मुकाबला, सुधा मल्होत्रा की भजन संध्या, बाबला ऑर्केस्ट्रा, होली स्नेह सम्मेलन जैसे सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों का भी सफल आयोजन किया है।
चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. सिंह का योगदान प्रशंसनीय है- जैसे 75000 मरीजों को टी बी की नि:शुल्क औषधियां बांटकर उन्हें बीमारी से निजात दिलाया। 2100 मरीजों की मोतियाबिंद नामक बीमारी से मुक्ति दिलाई। एक तरफ 51 विकलांग व्यक्तियों को ट्रिसायकल दिलाकर उनके जीवन की कठिनाईयों को सुलझाया, कोढ़, पोलियो, ट्रिपल हेपैटाइटिस बी और टाइफायड वैक्सिनेशन कॅम्प के लिए मुफ्त औषधी बैंक की व्यवस्था करते रहते हैं। अतिरिक्त, एम्बुलेंस सेवा तथा इनके द्वारा आयोजित स्वास्थ्य शिविरों में नेत्र जांच, रक्तदान, और टीकाकरण कार्यक्रम भी शामिल हैं, जिनसे हजारों लोगों को लाभ हुआ।
डॉ. सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है। इनके मार्गदर्शन में आर. आर. एज्युकेशनल ट्रस्ट, जिसका भूमिपूजन तत्कालीन राज्यपाल श्री पी. सी. एलेक्जेंडर के करकमलों द्वारा हुआ। वर्तमान समय में इसमें मराठी व अंग्रेजी माध्यम स्कूल, जूनियर कॉलेज, हॉटल मैनेजमेंट, स्पोर्टस एकेडमी, डी. एड. व बी. एड. कॉलेज (NAAC ACCREDITED) चल रहे हैं।
राजीव गांधी हाई स्कूल (हिंदी और मराठी माध्यम), दयानंद वैदिक विद्यालय प्रायमरी, सेकंडरी, व (जूनियर कॉलेज सहित), में इन्होंने विद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक सफल संचालन में मदद की है। इनके नेतृत्व में
आर. आर. एज्युकेशनल ट्रस्ट की शिक्षा पद्धति से सभी प्रभावित हैं। मराठी व अंग्रेजी माध्यम स्कूल में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन होता रहता है। नई शैक्षणिक पद्धतियों का प्रयोग करके छात्रों को सिखाया जाता है। आर. आर. एज्युकेशनल ट्रस्ट डी. एड. और बी. एड. कॉलेज से निकले हजारों शिक्षक आज देश के कोने-कोने में विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षा प्रदान करके देश की भावी पीढि़यों को गढ़ने का कार्य कर रहे हैं। जूनियर कॉलेज व हॉटल मैनेजमेंट से भी अनेक मेधावी छात्रों ने कई क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। इससे छात्रों को खेल में अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस संस्थान में डिग्री कॉलेज और प्रबंधन कॉलेज की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा है। यह आपके कुशल नेतृत्व को ही दर्शाता है।
समय समय पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह ने छात्रों को प्रोत्साहित करने और युवाओं को सशक्त बनाने में तैयार रहते हैं।
खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए डॉ. सिंह ने कई कुश्ती प्रतियोगिताओं और क्रिकेट मैचों का आयोजन किया। ‘ जिससे समुदायों के बीच आपसी सम्मान और समझ को बढ़ावा मिला।
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में, 1980 से 1998 तक मुलुंड क्षेत्र में वृक्षारोपण से लेकर नालों की सफाई तक जैसे सराहनीय कार्य इनके कार्यकाल की मुख्य विशेषता रही। इन्होंने वृक्षारोपण और पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देकर समाज को एक स्थायी भविष्य की ओर अग्रसर किया। प्राकृतिक आपदाओं में भी उनका सहयोग बना ही रहता है। 2001 के गुजरात भूकंप के दौरान राहत पीड़ित परिवारों को पहुंचाया।
डॉ. सिंह ने अपने पिता पूर्व महापौर मुंबई, स्व. आर. आर. सिंह मूल्य वृद्धि, भ्रष्टाचार और सामाजिक अन्याय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हर बार शामिल हुए हैं। इनका राजनीतिक नेतृत्व सिर्फ आंदोलन तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इन्होंने चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आप नगर निगम चुनाव में प्रत्याशी रहे ।
एक उल्लेखनीय आयोजन 23 फरवरी 1990 को मुलुंड में भारतरत्न श्री राजीव गांधी द्वारा संबोधित सार्वजनिक सभा थी। न्याय और राजनीतिक जवाबदेही के प्रति आपके समर्पण का उदाहरण 1989 में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री श्री देवी लाल के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर मामला है, जो बाद में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। यह साहस लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति आपकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इनके नेतृत्व में ‘जेल भरो आंदोलन’ और ‘सेव कश्मीर डे’ जैसे आंदोलन आयोजित किए गए। मूल्य वृद्धि, टोल टैक्स और प्रशासनिक अनियमितताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन इनकी लोक कल्याणकारी प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह जी के नेतृत्व में हाल ही (10 फरवरी 2025) में महाराष्ट्र राज्य शिक्षक सेना ने आर. आर. एज्युकेशलन ट्रस्ट में एक भव्य कार्यक्रम किया जिसमें शिवसेना प्रमुख उद्धव जी ठाकरे साहेब की उपस्थिति आकर्षण का केंद्र रही। इस सभा में भारी संख्या में जनसमुदाय के बीच कुल 20 प्रस्ताव और विभिन्न शैक्षणिक मांगे रखी जो सरकार एवं शासन ने मानी।
इनके अथक परिश्रम, लगन और निष्ठा से किये गये कार्य समाज और राष्ट्र की प्रगति में अवश्य ही सहयोगी साबित होंगे।

-शशिकला पटेल
असिस्टेंट प्रोफेसर, आर. आर. एज्युकेशनल ट्रस्ट बी.एड. कॉलेज मुलुंड पूर्व