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चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में संस्कृत भाषा को जोड़कर एक परियोजना शुरू हो।

नासिक– सिद्ध पिंपरी स्थित केंदीय संस्कृत विश्वविद्यालय नासिक परिसर में दो दिवसीय राष्ट्रिय सेमीनार भारतीय ज्ञान परम्परा में मनोवैज्ञानिक एक तत्त्व विषय पर अयोजन किया गया। उदघाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविधालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो गिरिश्वर मिश्र ने भारतीय ज्ञान परम्परा मनोवैज्ञानिक सिद्धांत पर अपना दृष्टिकोण व्यक्त किया। सम्मानित अतिथि के रूप मे केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय शिक्षा शास्त्र विभाग के अधिष्ठाता प्रो लोकमान्य मिश्र ने शिक्षा शास्त्र में मनोवैज्ञानिक सिद्धांत का विशेष महत्व है विषय पर प्रकाश डाला। सेमीनार के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय नासिक के उप कुलपति प्रो मिलिंद बि निकुंभ ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में संस्कृत भाषा का बहुत महत्व है। चिकित्सा और संस्कृत भाषा को जोडकर नए परियोजना पर शोध कार्य किया जा सकता है जो समाज और शिक्षा क्षेत्र में उपयोगी साबित होगा। सम्मानित अतिथि के रूप में मुंबई विश्वविद्यालय विज्ञान और तकनीकी विभाग के अध्यक्ष प्रो मंदार भानुशे ने कहा कि संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है जो तकनीकी दृष्टि से संगणक विज्ञान के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी है। इस अवसर पर उदघाटन और समापन की अध्यक्षता परिसर के निदेशक प्रोफेसर श्री गोविंद पांडेय ने की। इस राष्ट्रीय सेमिनार में भारतीय ज्ञान परम्परा मनोवैज्ञानिक तत्व विषय पर 25 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। उदघाटन अवसर पर स्वागत भाषण सेमिनार के समन्वयक तथा शिक्षा शास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ कुमार ने संचालन शिक्षा शास्त्र विभाग के डॉ पी विद्या धर प्रभल ने किया। समापन अवसर पर स्वागत भाषण शिक्षा शास्त्र विभाग के डॉ पी विद्या धर प्रभल ने, धन्यवाद शिक्षा शास्त्र विभाग के डॉ कुमार ने जबकि मंच संचालन मुंबा देवी आदर्श महाविद्यालय के उप प्राचार्य डॉ गणपति हेगड़े ने किया। इस अवसर पर सेमीनार में शामिल हुए विभिन्न क्षेत्रों से आए शिक्षक परिसर के कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे।

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