मराठवाड़ा में इस साल 822 किसानों ने की आत्महत्या
छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ जिलों में 2024 में अब तक 800 से अधिक किसानों ने आत्महत्या कर लिया है। जिनमें से 303 मामलों में मुआवजा दिया जा चुका है, जबकि 314 ऐसे मामले हैं, जिनका जांच लंबित है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। संभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष जनवरी से अब तक मराठवाड़ा में 822 किसानों ने आत्महत्या की है, जिसमें बीड में सबसे अधिक 160 किसानों ने आत्महत्या की। रिपोर्ट में कहा गया है कि 822 मामलों में से 303 मामलों में 30 नवंबर तक कुल 3.03 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। वहीं, 314 मामलों में जांच लंबित है। रिपोर्ट के अनुसार, बीड के बाद मराठवाड़ा के नांदेड़ (146) में सबसे अधिक किसानों ने आत्महत्या की। उसके बाद धाराशिव (143), छत्रपति संभाजीनगर (132), जालना (76), लातूर (72), परभणी (64) और हिंगोली (29) किसानों ने आत्महत्या की।संभागीय आयुक्त ने दी जानकारी संभागीय आयुक्त दिलीप गावड़े ने बातचीत में बताया कि इन मामलों की जांच जिला स्तरीय समितियों द्वारा की जाती है और विधानसभा चुनावों के लिए 15 अक्टूबर से लागू आदर्श आचार संहिता के कारण इसमें कुछ देरी हुई। गावडे ने बताया कि हमने अधिकारियों को मामले की शीघ्र जांच करने का निर्देश दिया है।किसानों की आत्महत्याएं चिंताजनक बता दें कि महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में किसानों की आत्महत्याएं एक चिंताजनक स्थिति है। लेकिन हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में ये मुद्दा गायब नजर आया। किसानों की आय दोगुनी से लेकर उनके अच्छे दिन लाने के वादे तो हो रहे हैं। लेकिन चुनावों में कोई भी किसानों की खुदकुशी के पीछे की वजह जानने की कोशिश नहीं किया।100 रुपये कमाना भी मुश्किल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, परभणी जिले के झोलापिपरी गांव के निवासी सुरेश नागरे ने बीते 26 अक्टूबर को कथित तौर पर आर्थिक हालातों और कर्ज से तंग आकर खुदकुशी कर ली थी। उनकी पत्नी ने बताया था कि हर रोज 100 रुपये प्रतिदिन कमाना भी मुश्किल हो गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जनवरी से जून के बीच मराठवाड़ा में कम से कम 430 किसानों ने आत्महत्या की यानी हर दिन दो किसान फंदे पर झूल गए।